Sunday, January 18, 2015

न नाम लिखो मज़ारों पे

हमें आदत है ज़ख़्म पालने की
ऐब सबके याद रहते हैं
जो फूल चढ़ाए अगले दिन मुरझा गए
जलियांवाले में गोलियों के निशाँ
इतने सालों बाद रहते हैं

मसला नया ये है कि
शहीद जवानों के लिए देश में स्मारक नहीं
याद उन्ही को करना जो नहीं रहे

 भगत सुखदेव अशफ़ाक़ुल्लाह
मरते न तो याद न रहते
गांधी ने भी गोली खायी
तब जाके बापू बना
वैसे तो साला Album बना के
शादी, जन्मदिन हर घर में याद करते हैं
पर मौते की ख़बरों का अखबार में ऐलान करते हैं
हिरोशिमा, कारगिल, विश्व युद्ध
पीढ़ियां पढ़ पढ़ रट लेगी
कब पोलियो का उपचार निकला
ये बताओ कब पहला विमान उड़ा?

Leopold में गोली के निशाँ
साला Tourist Spot है
कहाँ पकड़ा था क़सब को
ये भी कोई याद रखने की बात है ?

आगे बढ़ो कल की सोचो
सब ये बकते रहते हैं
हम तो कल के टट्टू हैं
हम सब कल में अटके हैं 
याद जिसे हम कहते हैं 
वो दरअसल क़ैद है

आने वाला पल है जो
उसे हरामियो आने दो
न नाम लिखो मज़ारों पे
जो चले गए उन्हें जाने दो

Wednesday, January 7, 2015

कुफ़्र

देश की मिट्टी के सीने में खोजा
तो कुफ़्र का ख़ज़ाना निकला
मंदिर के नीचे दफ़्न मज़ार मिली
मस्जिद जलाये तो बुत्तखाना निकला